छेड़ता है मुझको यशोदा मैया
(शेर)- करता है बहुत परेशान, सुन ओ यशोदा मैया।
राहों में आते जाते मुझको, तेरा नटखट कन्हैया।।
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छेड़ता है मुझको यशोदा मैया।
नटखट तेरा यह कन्हैया।।
छेड़ता है मुझको—————-।।
परेशान राहों में, करता है मुझको।
पनघट पर जाते, देखकर मुझको।।
कंकर मारकर, फोड़े मेरी मटकी।
नटखट तेरा यह कन्हैया।।
छेड़ता है मुझको—————-।।
जहाँ मैं जाती हूँ, वहाँ यह आता है।
नहाते समय, मेरे कपड़े चुराता है।।
माखन खाये मेरा, चुपके से आकर।
नटखट तेरा यह कन्हैया।।
छेड़ता है मुझको—————-।।
अपनी मुरली पर यह, मुझको नचाये।
सोने नहीं देता यह, मुझको जगाये।।
मेरी राधा कहकर, मुझको पुकारे।
नटखट तेरा यह कन्हैया।।
छेड़ता है मुझको—————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)