छू लेता हूँ होंठ से
फागुन बीता भी नही,,लगा अखरने घाम!
आगे आगे देखिए,….क्या होगा अंजाम! !
जन गण मन रौंदे गए ,तंत्र समूचे तोड !
राजनीति ने कर लिया,सत्ता से गठजोड !!
छू लेता हूँ होठ से .रोजाना छह जाम!
बोतल पे जब से छपा, महबूबा का नाम !!
रमेश शर्मा