छुपा छुपा सा रहता है
छुपा छुपा सा रहता है
ग़ज़ल में दर्द,
मुस्कराते शायर का,
अंधरे छुपे हुए रहते हैं
रोशन दीयों के उजालों में
हिमांशु Kulshrestha
छुपा छुपा सा रहता है
ग़ज़ल में दर्द,
मुस्कराते शायर का,
अंधरे छुपे हुए रहते हैं
रोशन दीयों के उजालों में
हिमांशु Kulshrestha