छाता
जब-जब बारिश धूप सताती
काम बहुत आता है छाता।
काला,पीला ,हरा, गुलाबी
इसका तो हर रंग लुभाता।
खोलो तो ये बने चँदोवा,
बंद बेंत-सा बन जाता है।
आम आदमी का सदियों से
इससे तो दिल का नाता है।
रंग-बिरंगा छाता लेकर
अम्मा हम पढ़ने जाएँगे।
बारिश हो या धूप कभी हम
फिर ज़रा नहीं घबराएँगे।
कभी नहीं फिर विद्यालय से
छुट्टी लूँगा पक्का वादा।
मुझको बस दिलवा दो छाता
माँ यह सुन लो नेक इरादा।।