Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Jun 2021 · 2 min read

छाता

राधा आफिस से बाहर निकली तो देखा हल्की बारिश हो रही थी। आफिस से थोड़ी दूरी पर मेडिकल स्टोर से उसे कुछ दवा खरीदनी थी। घर में बूढ़ी दादी जो उसका एक मात्र सहारा थी, ने बीमारी के कारण चारपाई पकड़ ली थी। राधा के माँ बाप का बचपन में ही एक सड़क दुर्घटना में देहांत हो चुका था। दादी ने ही राधा को पाल पोस कर इस लायक बनाया था कि वो एक मल्टी नेशनल कंपनी में कार्यरत थी। थोड़ा तेजी से चलते हुए वो स्टोर तक पहुंची। भीगे हाथों से दवा का पर्चा निकाल कर काउंटर पर खड़े सेल्समेन से तीन दिन की दवा देने को कहकर वो गीले बालों को झाड़ने लगी। इसी बीच दुकानदार ने दवा का लिफाफा व पर्चा राधा को थमा दिया। राधा दवा का भुगतान करके जैसे ही बाहर निकली तो उसने देखा बारिश काफी तेज हो चुकी थी। राधा का घर यहां से तीन-चार किलोमीटर की दूरी पर था। घर जाने के लिए वो रिक्शा की प्रतीक्षा कर रही थी लेकिन कोई भी रिक्शा खाली नही आ रहा था। तभी पास के स्टोर से एक युवक हाथ में छाता लिए बाहर निकला। एक बार को बारिश देख कर वो ठिठका और फिर चंद कदम की दूरी पर खड़ी गाड़ी की और बढ़ गया। अचानक ही राधा को याद आया कि एक छाता तो उसके बैग में भी है। वो भीतर ही भीतर मुस्कराई और बैग से छाता निकाल कर धीमे पांव से अगले चौक तक चल दी। इस चौक से अक्सर रिक्शा मिल ही जाता था। राधा के चेहरे पर नादान मुस्कुराहट अभी भी मौजूद थी।

वीर कुमार जैन
27 जून 2021

Language: Hindi
548 Views

You may also like these posts

वक्त से वक्त को चुराने चले हैं
वक्त से वक्त को चुराने चले हैं
Harminder Kaur
#तन्हाई
#तन्हाई
"एकांत "उमेश*
चाय
चाय
Rajeev Dutta
मउगी चला देले कुछउ उठा के
मउगी चला देले कुछउ उठा के
आकाश महेशपुरी
हर किसी में निकाल दें खामी
हर किसी में निकाल दें खामी
Dr fauzia Naseem shad
Value the person before they become a memory.
Value the person before they become a memory.
पूर्वार्थ
"परोपकार के काज"
Dr. Kishan tandon kranti
दरक जाती हैं दीवारें  यकीं ग़र हो न रिश्तों में
दरक जाती हैं दीवारें यकीं ग़र हो न रिश्तों में
Mahendra Narayan
तन्हा वक्त
तन्हा वक्त
RAMESH Kumar
ग़म हमें सब भुलाने पड़े।
ग़म हमें सब भुलाने पड़े।
पंकज परिंदा
सच कहना बचा रह जाता है
सच कहना बचा रह जाता है
Arun Prasad
9. Thy Love
9. Thy Love
Ahtesham Ahmad
बारिश का मौसम
बारिश का मौसम
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
*
*"वो भी क्या दिवाली थी"*
Shashi kala vyas
सुप्रभात
सुप्रभात
*प्रणय*
दोहा-सुराज
दोहा-सुराज
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
कविता- जनजातीय विद्रोह
कविता- जनजातीय विद्रोह
आर.एस. 'प्रीतम'
जो संतुष्टि दिन हीनों और गौ माता की सेवा करने से मिल सकता है
जो संतुष्टि दिन हीनों और गौ माता की सेवा करने से मिल सकता है
Rj Anand Prajapati
!! सुविचार !!
!! सुविचार !!
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
हमें मजबूर किया गया 'अहद-ए-वफ़ा निभाने के लिए,
हमें मजबूर किया गया 'अहद-ए-वफ़ा निभाने के लिए,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मां की जिम्मेदारी
मां की जिम्मेदारी
Shutisha Rajput
दादी
दादी
Shailendra Aseem
*जीतेंगे इस बार चार सौ पार हमारे मोदी जी (हिंदी गजल)*
*जीतेंगे इस बार चार सौ पार हमारे मोदी जी (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
रात
रात
SHAMA PARVEEN
श्रम करो! रुकना नहीं है।
श्रम करो! रुकना नहीं है।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
आक्रोष
आक्रोष
Aman Sinha
3817.💐 *पूर्णिका* 💐
3817.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
पसीने वाली गाड़ी
पसीने वाली गाड़ी
Lovi Mishra
चाह की चाह
चाह की चाह
बदनाम बनारसी
सुकून..
सुकून..
हिमांशु Kulshrestha
Loading...