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12 Jun 2021 · 1 min read

‘ छाँव ‘

अरे सुनो…तुम बरगद के नीचे से इन पौधों को क्यों हटा रहे हो बेचारे मर जायेगें ।
नाही साहेब इनको जिलाने की खातिर खुल्ले में रोपेगें…लेकिन वहाँ ये धूप में मर जायेगें…मर तो ई बेचारे ईहांं रहे है बरगद की छाँव मा ।

स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 10/06/2021 )

Language: Hindi
1 Like · 315 Views
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