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1 Feb 2024 · 1 min read

छल…..

छल ……

कल
फिर एक
कल होगा
भूख के साथ छल होगा
आशाओं के प्रासाद होंगे
तृष्णा की नाद होगी
उदर की कहानी होगी
छल से छली जवानी होगी
एक आदि का उदय होगा
एक आदि का अन्त होगा
आने वाला हर पल विकल होगा
जिन्दगी के सवाल होंगे
मृत्यु के जाल होंगे
मरीचिका सा कल होगा
तृष्णा तृप्ति का छल होगा
सच
कल
भोर के साथ
फिर एक कल होगा
भूख के साथ
छल होगा

@सुशील सरना / 1-2-24

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