छल सब पर सबल
जब तक निकले ना, मन में से छल,
नहीं टिकेगा ठिकाने बुद्धि और बल.
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छल के बल पर आज,शासक पुरोधा.
इससे बडा नहीं कोई दुनिया में योद्घा.
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छल के बल पर लिखे गये विधि विधान.
मांग अंगूठा द्रोण, प्रिय शिष्य बने महान.
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छल के बल पर हार , गये लंकेश रावण .
खडे देखते रह गये, कुन्ती सूर्य पुत्र कर्ण.
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छल लिखकर छल पढ़कर छलकर कर,
जप तप तेहि प्रताप दिखाकर गये हार.
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मन कपटी मन छलिया मन तन सारथी,
एक छल सब पर सबल जाने जो अर्थी.