छल जाते हैं
हर एक हृदय से
अपने लिए
हम कटु शब्द ही पाते हैं
सब नाते ही छल जाते हैं
सब रिश्ते ही ठुकराते हैं
अपनापा
क्या जाने
वो जिसने
स्वार्थ हेतु संबंध किया
आपस में केवल लेने और देने
का ही अनुबंध किया
सब अपने ही कहलाते हैं
जो इस मन को छल जाते हैं ✍️