छत पर बंदर (बाल कविता )
छत पर बंदर (बाल कविता )
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अम्मा जी ने छत पर कपड़े
जाकर ढेर सुखाए ,
तभी वहां पर छह- छह बंदर
खों – खों करते आए।।
डर के मारे अम्मा जी ने
तब आवाज लगाई ,
सुनकर पोती रिआ
दौड़कर लाठी लेकर आई।।
लाठी जब देखी तो बंदर
उछल-उछल कर भागे,
पीछे-पीछे लाठीवाली
बंदर आगे – आगे ।।
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रचयिता: रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा,
रामपुर (उत्तर प्रदेश) मोबाइल 99976 15451