छत्रपति शिवाजी महाराज जी के जीवन से तीन महत्वपूर्ण शिक्षा – आनंदश्री
छत्रपति शिवाजी महाराज जी के जीवन से तीन महत्वपूर्ण शिक्षा – आनंदश्री
शिव स्वराज्य दिन पर विशेष
आपका जन्म कंहा, किस घर मे हुआ है इससे महत्वपूर्ण यह है कि आप कैसे दुनिया छोड़ कर जाते हो। साधारण सूबेदार के असाधारण बेटे थे शिवाजी। 16 वर्ष की उम्र में ही उन्होंने अपने अपना पहला किला जीता था। 6 जून 1674 को ही उनका राज्यभिषेक हुआ था। इसी दिन शिवाजी महाराज से छत्रपति शिवाजी महाराज बने।
एक लक्ष्य स्वराज्य
कोई अवतार नही आने वाला है। आपको ही अपना स्वराज्य स्थापित करना है। एक जीवन, एक लक्ष्य, स्वराज्य की स्थापना। आपको आपके जीवन का एक लक्ष्य बनाना होगा। आप क्या चाहते हो। क्या बनना चाहते हो । आज ही निर्णय लीजिये। और अपना सारा जीवन उस लक्ष्य के लिए समर्पित कर दो।
जो है, वह काफी है
अक्सर लोग कहते है। मैं बड़ा कुछ करना चाहता हूँ, मेरे पास बड़ा आयडिया है लेकिन … मेरे पास यह नही है, वह नही है। यह कम है वह कम है। जो है वह काफी है। शिवाजी महाराज भी साधारण बालक की तरह ही थे। लेकिन उनके पास जो था , जो सेना थी, जो रिसोर्स पास में थे उनका उन्होंने सही इस्तेमाल अपने पृथ्वी लक्ष्य को पूरा करने में सदुपयोग किया।
आज की तारीख में जो भी रिसोर्स है वह काफी है, बस उसका सही सदुपयोग करे।
छोटी शुरुवात से न डरे
16 वर्ष की उम्र में शिवाजी महाराज ने पहला किला तोरणा को जीता था। सन 1646 में 4600 फ़ीट ऊँचाई का यह किला , मराठा साम्राज्य की एक छोटी शुरुवात थी। यही प्रचंड गड बना।
शुरुवात करे, आपकी उम्र बाधा नही आपके “अमान्यता विचार” बाधा है। उस पर काम करे। शुरुवात करें। माँ जीजामाता ने जो शिक्षा दी थी उस शिक्षा का शिवाजी महाराज ने अपने जीवन मे पूरा उतारा। उसकी शुरुआत की।
इसके अलावा भी महिलाओं को सम्मान, समाज के सभी वर्गों को जाति , मजहब का भेदभाव किये बिना उनके विचारों को कार्यो की सराहना और सम्मनित करना। ऐसे कई गुण थे जिसने शिवाजी महाराज को छत्रपति शिवाजी बनाया।
प्रो डॉ दिनेश गुप्ता- आनंदश्री
आध्यात्मिक व्याख्याता एवं माइन्डसेट गुरु
मुम्बई
8007179747