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8 Nov 2024 · 1 min read

छठ गीत

उगीं ना पुरुब से सुरुज देव लेईं ना अरघ मोर हे
गंगा घटवा लगल भारी भीर भइल भिनुसार भोर हे

मनवाँ में सरधा अपार बा रउरे अधार बा हे
अब देईं ना हे देवता असीस नयनवाँ भरल लोर हे

महकेले बेदिया सुहावन अति मनभावन हे
राउर महिमा हवे बड़ भारी मचल चारू ओर सोर हे

जगमग जरेला दियनवाँ करेला उजियार मन हे
जन-जन में जगाई पिरितिया जुड़े नेहिया के डोर हे

गितिया राउर हम गाइब जग के सुनाईब हे
जवने अँगना ‘असीम’ अन्हार करा दीं उहाँ अँजोर हे
✍🏻 शैलेन्द्र ‘असीम’
पाण्डेय निवास
रोहुआ मछरगावां, कुशीनगर

Language: Bhojpuri
Tag: गीत
1 Like · 28 Views

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