छंद
छंद
जिसे मिलता प्रभु तेरा साथ ,
भाग्य न छोड़े कभी हाथ ।
जीवन नैया पार लग जाए ,
दुख दर्द कभी ना उसे सताए।
पूरी होगी तेरी हर आस,
मन रखना निर्मल ‘अरू’ साफ ।
अंत समय बड़े पछताए,
प्रभु नाम जो ना धयाए ।
काटो वही जो हो बोए
खाॅगड बीज फल मीठा ना होए।
प्यार सुगंध लाए मधुमास,
रिश्ते तोड़े नफरत बन आग ।
भाषा लहजा और संस्कार ,
ना भूले पुनःकरें विचार ।
जीवन सत्य कांटों संग फूल,
मिलकर दुख दर्द जाएं भूल।
कदम से कदम गर मिल
जाए,
जन मैत्री भाव सानिध्य पाए।
अरुणा डोगरा शर्मा
मोहाली
8728002555
16, 15 मात्रा