चौरासी लाख योनियां।
चौरासी लाख योनियों में, मनुष्य सबसे ज्यादा अपने आप को ही सर्व श्रेष्ठ मानता है! शायद उसने कभी भी, किसी भी योनियों से विचार विमर्श नहीं किया होगा।कि आप वोटिंग करें,कि सभी योनियों में सबसे सर्व श्रेष्ठ कौन है?एक भी ऐसी योनि नही मिलेगी ,जो अपने आप को श्रेष्ठ न मानती हो! सभी योनियों के द्वारा ही इस सृष्टि का निर्माण होता है। और इस सृष्टि को भी सभी योनियां मिलकर चलाती है।यह एक रहस्य बना हुआ है।कि इस सृष्टि को कौन चलाता है!एक दूसरे के सहयोग से ही यह सृष्टि चलती है। प्रकृति ने 8400000 योनियां क्यों बनाई है?यह हम कल्पना करें,कि चौरासी लाख योनियों की क्या जरूरत थी। क्यों कि एक अणु दूसरे अणु का जन्म दाता होता है। यही एक रहस्य है कि कोई भी चीज नष्ट नही होती है।वह तत्व का निर्माण करती जाती है। उदाहरण के लिए,कि ईश्वर ने खरगोश क्यों बनाया? क्योंकि बिना किसी कारण के किसी भी वस्तु का जन्म नही होता है। ईश्वर की रचना में , बहुत बड़े बड़े वैज्ञानिक लगें हुए हैं। जैसे वनस्पति विभाग शंकर भगवान को दिया है। ऐसे ही पवन देव हवाओं का संतुलन देखते हैं।जल के देवता बरुण है, जो जलीय तत्त्वों का निर्माण और संरक्षण देखते हैं। यही एक रहस्य है कि ,हम अपने आपको सबसे श्रेष्ठ मानते हैं!