चौबीस कैरेट सोने जैसी शुद्ध
रुई के फाहे जैसी मैं
सूरज की तपिश जो मिली तो
जल जाऊंगी
एक सूखे पत्ते सी मैं
हवा का स्पर्श पाते ही
अंतहीन दिशा में उड़ जाऊंगी
एक फूल सी कोमल मैं
तितली जो मुझ पर बैठी तो
दब जाऊंगी
एक बेहद अच्छी इंसान मैं
बुरे लोगों का जो सानिध्य मिलता रहा तो
इंसानियत को अपने भीतर कैसे संजोकर रख पाऊंगी मैं
मेरा तन शुद्ध
मन शुद्ध
कर्म शुद्ध
विघटन होता रहा मेरे चारों तरफ जो चौबीसों घंटे तो
चौबीस कैरेट सोने जैसी शुद्ध कैसे रह
पाऊंगी मैं।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001