चौपाई छंद-वचन
जिसने अपना वचन निभाया।
बहु सम्मान जगत में पाया।।
उसका मस्तक ऊँचा रहता।
सज्जन उसको जग है कहता।।
वनवास गए जब रघुराई।
चले संग तब लक्ष्मण भाई।।
वचन राम को उत्तम दीन्हा।
भार रक्ष सीता का लीन्हा।।
हैं विवाह वेदी जब आते ।
पति पत्नी भी वचन उठाते।।
वचन निभाना उनको आता।
जिनको जीवन अनुपम भाता।।
आओ हम भी वचन निभाएं।
और वचन की लाज बचाएं।।
सदा वचन से यश का नाता।
सबको ये रिश्ता है भाता।।
सुधीर श्रीवास्तव