चौपाई छंद गीत
चौपाई छंद गीत
16/16 मात्रा
सृजन पंक्ति- माना तुमको जबसे अपना
माना तुमको जबसे अपना ।
लगता है अब जग इक सपना ।।
सबसे अब तो नाता टूटा ।
बंधन माया का है छूटा ।।
काम मुझे बस माला जपना ।
माना तुमको जबसे अपना।।
हरदम रहते थे दुख घेरे ।
आज हुए हैं सुख के फेरे ।।
कष्टों से प्रभु रक्षा करना।
माना तुमको जब से अपना ।।
सच्चा साथी नाम तुम्हारा ।
तुम हो मेरा नाथ सहारा ।।
खुशियों का हो पावन झरना ।
माना तुमको जब से अपना ।।
साथ सदा ही देना भगवन ।
भक्ति भाव मे भीगे तनमन ।।
अवगुण की मत करना गणना ।
माना तुमको जबसे अपना ।।
मुझको बस एक तेरी आशा ।
दूर है सारी हृदय निराशा ।।
सीखूँ सीधी राहें चलना ।
माना तुमको जबसे अपना।।
जब से तुमको उर में पाया ।
जीवन में है सत की छाया ।।
अपने हाथों हमको गढ़ना।
माना तुमको जब से अपना ।।
सीमा शर्मा ‘अंशु’