चौपाई छंद गीत
चोपाई छंद गीत
सृजन पंक्ति-बोध गया में मेला लगता ।
मोक्षधाम का रास्ता सजता ।
बोध गया में मेला लगता ।।
फल्गु नदी है पावन बहती।
पितृ मुक्ति की गाथा कहती ।।
तर्पण कोई अपना करता ।
बोध गया में मेला लगता ।।
स्वर्ग नरक के बंधन छुटते ।
कर्म मार्ग भी जाते खुलते ।।
जीना मरना सार्थक बनता ।
बोध गया में मेला लगता ।।
मुक्ति पाप की करने आते।
श्रद्धा श्राद्ध की रीत निभाते ।।
नीर दान का कारज चलता ।
बोध गया में मेला लगता ।
पिंडदान से शांति कराते।
देवघाट के दर्शन पाते ।।
आत्मा का है रूप निखरता ।
बोध गया में मेला लगता ।।
सीमा शर्मा ‘अंशु’