चौदह अगस्त तक देश हमारा …(गीत)
भारत विभाजन के बाद पाकिस्तान में रह गए भारत- भक्तों की पीड़ा
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चौदह अगस्त तक देश हमारा …(गीत)
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हम रहते थे जहाँ हमारा कारोबार मकान था
चौदह अगस्त तक देश हमारा भी तो हिंदुस्तान था
(1)
हमने पाकिस्तान कहाँ माँगा था कब चाहा था
यह रिश्ता था एक जबरदस्ती ज्यों बिन ब्याहा था
हमें मिला धर्मांध पाक जिसका संकुचित विचार था
शुरू हुआ पन्द्रह अगस्त से जिसका अत्याचार था
हृदय देश के बँटवारे से भीतर तक अनजान था
(2)
हिंसक हमें भेड़ियों के ही आगे छोड़ दिया था
हमें नियति के क्रूर व्यंग्य ने बिल्कुल तोड़ दिया था
भारतीय आत्मा थे , कैसे तन गैरों का लाते
पाकिस्तानी कहो देह से भी कैसे हो पाते
भारत माता की आजादी अपना भी अरमान था
(3)
आजादी कहने भर की थी खुशियाँ कहाँ मनाते
लगता था यह हमें कैदखाने में समय बिताते
खूनी अजगर हमें निगल जाने को जो आतुर थे
जयहिंदों के लिए पाक में सिर्फ आसुरी सुर थे
पूरा पाकिस्तान हमारे लिए बना शमशान था
(4)
पन्द्रह अगस्त को प्राण गँवाए,सूरज निकला काला
मिला किसी को अमृत होगा, हमें जहर का प्याला
मारे गए न जाने कितने,कितने बचकर भागे
पीछे पाकिस्तानी चाकू , हिंदुस्तानी आगे
हमें सिसकियाँ देने वाला चारों ओर विधान था
(5)
पंडित नेहरू और लियाकत का समझौता आया
शुतुरमुर्ग जैसे सच्चाई से मुँह गया छिपाया
हम थे भारतीय ,भारत माता जय कहने वाले
भारतीय की तरह पाक के भीतर रहने वाले
मिलते रहे अनवरत आँसू जो सब का अनुमान था
(6)
सुनो हमारी पीड़ा हम हैं राम कृष्ण के वंशज
लगी हमारे सिर माथे भी ऋषियों की ही पद-रज
हममें वीर शिवाजी गुरु गोविंद सिंह हँसते हैं
भगत सिंह बम फेंक हमारे भीतर ही बसते हैं
अंतहीन क्यों मिली गुलामी हिस्से में अपमान था
हम रहते थे जहाँ हमारा कारोबार-मकान था
चौदह अगस्त तक देश हमारा भी तो हिंदुस्तान था
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा, रामपुर( उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99 97 61 545 1