चौकीदार
का होगे चौकीदार हमर
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मणिपुर हिंसा ल छोड़के, बिदेश म बड़ घूमत हे।
का होगे चौकीदार हमर,आरो घलो नई लेवत हे।।
आज बहु बेटी के इज्जत लुटागे,
बड़े-बड़े नेता मनके मुंह चुटागे।
न रेडियो म होथे मन की बात,
न देथे आदिवासी मन के साथ।
कुकी समाज के बेटी मन,आज धर-धर रोवत हे।
का होगे चौकीदार हमर,आरो घलो नई लेवत हे।।
काहा गिस बजरंग दल अउ हिन्दू वाहिनी,
Sc ,st छोड़के बाकी मन ही तुंहर बहिनी।
मणिपुर हिंसा म कई झन के जान चल दिस,
समाचार वाला दु दिन दिखाके माखुर कस मल दिस।
सरकार म बइठे साहब मन,ऐसी कूलर म सोवत हे।
का होगे चौकीदार हमर, आरो घलो नई लेवत हे।।
जगा- जगा मशीन हर आगे,
निजीकरण म रोजगार छिनागे।
नेता मन सब पोस्टर म छागे,
आदिवासी मनके जमीन बेचागे।
हिंसा झड़प अत्याचार,जगा जगा ये होवत हे।
का होगे चौकीदार हमर, आरो घलो नई लेवत हे।।
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डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर” ✍️✍️