चोट शब्द की न जब सही जाए
चोट शब्द की न जब सही जाए
बात आँखों से तब कही जाए
हो ख़ता तीर तो न ग़म कीजै
है मज़ा तीर जब सही जाए
हो मुलाक़ात जब बहुत गहरी
बात रुकने की तब कही जाए
अश्क़ इतने भरे हैं नैनों में
इक नदी जैसे के बही जाए
महावीर उत्तरांचली