चैन
मौत के आगोश में जब रूह मेरी समा जाएगी
बेगैरत जमाने की रुसवाईयाँ यूँ छूट ही जाएगी
कांधा भी अपनों का अहसान जता ही जायेगा
गैरों की दुआएं ही उस जहां में मेरे काम आएंगी
मौत के आगोश में जब रूह मेरी समा जाएगी
बेगैरत जमाने की रुसवाईयाँ यूँ छूट ही जाएगी
कांधा भी अपनों का अहसान जता ही जायेगा
गैरों की दुआएं ही उस जहां में मेरे काम आएंगी