चेहरे
जीवन में कुछ ही चेहरे होते हैं जो अपना अक्ष अपनी यादें छोड़ जाते है इसके पीछे उनके अच्छे सकारात्मक कर्म उनकी सोच ही उनको दूसरों से इतर कर देते हैं औसत आदमी तो प्रायः जीवन में मिल ही जाते हैं या मिलते रहते है पर किसी ऐसे विरल व्यक्तित्व नयी सोच वाले इंसान बहुत कम ही होते हैं।जीवन का लंबा हिस्सा लोग यौं ही गवां देते हैं छोटी मोटी उपलब्धि ही जीवन का लक्ष्य नहीं जीवन जीना तो एक सतत् प्रक्रिया है जिसमे अर्थ और काम की प्राप्ति ही मुख्य ध्येय नहीं क्योंकि इन सबसे स्वयं की जीवन सुखद हो सकता है किसी दूसरे का नहीं और स्वयं के लिए तो सब जीते ही है ये बहुत बड़ी बात नहीं कुछ ऐसा हो कि सबआपसे प्रभावित हो आपके गुण बखान करे यानि ऐसा कुछ तो हो जो आपको दूसरों से कुछ भिन्न करे पर ऐसे लोग अंगुली पर गिनने मात्र ही होते हैं।जब हम किसी से मिलते हैं सामने वाला व्यक्ति बहुत बड़ी बड़ी बाते करता है स्वयं को ऊंचा सिद्ध करने के लिए पर जैसे जैसे यथार्थ सामने आता है वो भी उसी पुराने पथ पर चलने वाला व्यक्तित्व नज़र आता है वास्तव में सब एक समान है कुछ भी अलग नहीं यानि कि कथनी और करनी में बहुत भिन्नता नहीं होनी चाहिए इसके लिए हर इंसान को स्वयं के लिए कुछ समय रिक्त रखना चाहिए जिससे वो स्वयं को कुछ बेहतर या अलग करने में सक्षमकर सकें अब ये तर्क ठीक भी नहीं होगा कि समय का अभाव है चूंकि मोबाइल पर पूरा दिन व्यर्थ करने का समय है पर कुछ अच्छा करने के लिए नहीं इसके लिए स्वयं का पुनर्निर्माण करें और स्वयं का सुक्ष्म निरीक्षण करें पर ये सब बाते तो आज सबको निरर्थक ही लगती हैं लोग जैसा जीते हैं या जी रहे है वही भाता है अब तो शायद सबको इसी में प्रसन्न है सब।
मनोज शर्मा