चेहरा किताबी
आज खत आया तेरा जवाबी
पढ़ लिया मैने तेरा चेहरा किताबी
एक तमन्ना थी देखने की
वो पंखुड़ी गुलाब की
देख लिया मैने तेरे होठ गुलाबी
वैसे तो पीना छोड़ दिया था हमने
पर फिर मुझे पीना याद आया
देखकर तेरे नैन दो शराबी
तेरी हर अदा का कायल हूँ मैं
अब तो तुझे भी भा गया है
“विशाल” का अंदाज़ ये नवाबी.
राजीव विशाल (रोहतासी)
मो-8210666825