चेतना के उच्च तरंग लहराओं रे सॉवरियाँ
चेतना के उच्च तरंग लहराओं रे साँवरियाँ।
कभी तो इस चेतन मन ,म्हारे मन गली लाओं रे साँवारियाँ।
हरदम आंसू से मत नहलाओं रे साँवारियाँ
दिल के उमंग मस्त होकर दिखलाओं रे सांवरियां।
इतनी हंसी-खुशी लाओ ये साँवरियाँ इस जग के कण- कण
वृंदावन बनाओ साँवरियाँ I
– डॉ. सीमा कुमारी , बिहार भागलपुर, दिनांक 23-6-022की मौलिक एवं स्वरचित रचना जिसे आज प्रकाशित कर रही हूं