चूड़ियाँ नहीं हथकड़ी हैं
***** चूड़ियाँ नहीं हथकड़ी हैं ****
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चूड़ी नहीं यह प्यार की हथकड़ी है,
पहनकर जिसको सुंदर स्त्री खड़ी है।
हाथों में खन -खन जब खनकती है,
प्रीतम की जान सूली पर खड़ी है।
टूटती जब चूड़ी गोरी हथेली पर,
प्रेम की कसौटी तोल पर अड़ी है।
रंग – बिरंगी चूड़ियाँ रंगदार है,
रंग- बिरंगे जीवन रंगों से मड़ी हैं।
ये चूड़ियाँ होती बहुत बहुमुल्य सी,
नग-नीलम-मोतियों से चूड़ी जड़ी है।
मनसीरत चूड़ी सुहागिन निशानी है,
बिन चूड़ियों स्त्री अभागिन पड़ी है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)