चूहों की चौकड़ी
चूहे भरते चौकड़ी , चुहिया करें धमाल |
उछल- कूद करते यहां, करते खूब कमाल |
करते खूब कमाल, सोफा काटते जाते |
खाना खाते खूब, मम्मियों को हड़काते |
कहीं प्रेम कविराय, सभी समझें जब ऊहे |
मम्मी बिल्ली पाल, चौकड़ी भरते चूहे |
डॉप्रवीणकुमारश्रीवास्तव,” प्रेम ”
चूहा चुहिया कर रहे,घर में प्रेमालाप |
आंख -मिचौली खेलते, पापा करते जाप |
पापा करते जाप, मांगते चूहा दानी
चूहे करते खेल,पड़ी भारी नादानी|
कहें प्रेम कविराय,करें मत लालच ऊहा |
लालच से लाचार, फसे हैं चुहिया चूहा |
डॉप्रवीणकुमारश्रीवास्तव “प्रेम “