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22 Apr 2022 · 1 min read

चूल्हे से

चेहरे खिले
खुशी मँड़राई
चूल्हे से।

आटा देख
घरैतिन फिर से युवा हुई
हफ्ते बाद कबूल
सुबह की दुआ हुई
नाकों से
रोटी की खुशबू टकराते
चौके तक
बुढ़िया चल आई कूल्हे से।

धुँआ उठा
छप्पर के ऊपर जा छाया
काँव-काँव करता बायस
फिर मँड़राया
घर आए वर देखुआ
भेली-दही पिए
साली-सलहज फिर
अठलाईं दूल्हे से।

रोहिणी नन्दन मिश्र
“अँखुआ” से

Language: Hindi
Tag: गीत
182 Views

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