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10 Apr 2023 · 1 min read

चूड़ामणि, मुक्तामणि, चँद्रमणि ।

चूड़ामणि,मुक्तामणि,चँद्रमणि।
********************
चूड़ामणि छंद
13+11+5
सब चूहे मिलकर करें, गठबंधन का जोड़। सघन में ।
हाथी की होती नहीं, किसी तरह से होड़। वजन में

जुल्म सितम आतंक का सदा चले ना दौर ।समझ लो
बहुत कड़ा कानून है,करो अभी तक गौर ।सिमट लो
मुक्तामणि छंद
13/12=25
अंतिम 2 गुरू
बदनामी तो गई, भले जमानत पाई ।
सोच समझ कर आपने, नहीं जबान चलाई ।

हीरा केवल एक है,परखैया पहचाने।
कांच चमक मन मोहते,ज्ञानी गुण को जाने ।

राम घटाये न घटे,खींचातान मचाये।
निंदक निंदा कर थके, दिन प्रति बढ़ता जाये ।

भारत देश महान है, सबका यहाँ गुजारा।
कहतीं हैं हिल मिल रहो ,गंगा यमुना धारा।

चँद्रमणि छंद (उल्लाला)
13/13=26
रच गुरु छंद बता दिये,
अबतक विविध प्रकार के ।
जुड़ न सके लाचार हो,
कविगण मंच बजार के।

यहाँ चले नहिं चुटुकुले,
लफ्फाजी भी ना जमे।
बँधे वर्ण सब नियम से,
भाव विधानों में रमे ।

किसको कैसा लग रहा,
इसकी ना परवाह है ।
कर्म सनातन धर्म का,
नित नूतन उत्साह है ।

मना शारदे मात को ,
ध्यान पवनसुत का धरूँ।
गुरु भव तरने हेतु ही,
राम कथा वर्णन करूँ।

गुरू सक्सेना
नरसिंहपुर मध्यप्रदेश
10/4/23

Language: Hindi
365 Views
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