चुलबली इस कदर भा गई
चुलबली इस कदर भा गई
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चुलबली इस कदर भा गई,
आशिकी मन अग्न ला गई।
देखते ही खो गये हम उसे,
रोग ऐसा अजब ला गई।
हुस्न ऐसा दिखा चाँद सा,
खूबसूरत बलाँ छा गई।
रात दिन ख्याल दिल में रहे,
चैन आराम वो खा गई।
बिजलियाँ हैँ चली आंधियां,
वो सितमगर सितम ढा गई।
मनसीरत खो गया प्यार में,
गीत गजलें नज्म गा गई।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)