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3 May 2023 · 1 min read

चुप रहना ही खाशियत है इस दौर की

चुप रहना ही खाशियत है इस दौर की
मेरा लब खोलना, दूसरों को जुबान दे गया.

डॉ. दीपक मेवाती

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