चुनिंदा अश’आर
‘अहमियत उसको, हम नहीं देते ।
वक़्त गुज़रे, तो फि फिर गुज़र जाएगा ।।”
“मेरी सांसों की तुम, जमानत हो ।
भूलकर तुमको, जी नहीं सकते ॥”
कोई मुश्किल हरा नहीं सकती ।
हमने थामा है सब का दामन ॥
उसको लगता था टूट जाएगा ।
कोई वादा किया नहीं हमने ।।
“दिल में कोई नहीं है दिलशकनी,
दिल से दिल का मुआहिदा ठहरा।”
”कब मिलेगी पता नहीं मंजिल ।
ज़िंदगी का सफ़र थकाता है ।।”
डाॅ फौज़िया नसीम शाद