चुनाव 2024….
उम्मीदों पर खरे रहे हो,
अभी कहां तुम पीछे हो।
हर गहराई मात खा गई,
तुम जो इतने नीचे हो।।
था प्रयास की आ जाओगे,
मानवीय पहुंच के पास कहीं।
निरा जानवर तुम समाज के,
तुम जो कर दो वही सही।
नही देश के, न समाज के
न परिवार के बेटा ही हो।
तुम हो ठग बस ठग ही हो,
तुम विपक्ष के नेता ही हो।।
खेल नहीं आता है तुमको,
नहीं है तुममें खेल भावना।
तुम जीतो तो सबकुछ अच्छा,
हार के करते सबकी ताड़ना।।
“संजय” कैसे समझाऊं, इनका
ऐसे काम नहीं चलने का।
केवल निंदा गाली बक कर,
सत्ता अब तो न मिलने का।।
जय सियाराम