चुनावी रणनीति
इस कारोना माहामारी के दौर में सारी दुनिया बच बचाव में लगी हुई है। लोगों की जान पर आफ़त आन पड़ी है लेकिन हमारे देश के आदरणीय प्रधानमंत्री जी और गृहमंत्री जी जो लोगों की जान की फिक्र बिलकुल भी नहीं कर रहें बल्कि अपनी सत्ता की फिक्र कर रहे है। लोग जिए या मरे, इन्हें इनसे कोई मतलब नहीं। ऐसे शासक को प्रधानमंत्री के ओहदे पर बने रहने का कोई तुक नहीं बनता और जिस व्यक्ति को सिर्फ अपना गृह एवं गृहस्ती की फिक्र हो ना की आम जानता के गृह की फिक्र हो, वैसे आदमी को भी गृहमंत्री बने रहने का कोई हक नही बनता। जब तक चुनाव है और जिस राज्य में है, इनके हिसाब से वहां कोरोना नहीं, लेकिन जैसे ही चुनाव खत्म होगी, हमारे माननीय को अचानक से इन राज्यों के लोगों की चिंता होने लगेगी और वहां कोरोना भी फैलने लगेगा, फिर वहां लॉकडाउन लगने लगेगा, दुकानें बंद करवाया जाएगा, आम जनता को मूल भूत सुविधाएं मिलनी बंद हो जाएंगी और रोटी रोटी के लिए लोग तरसेंगे। एक तरफ इस सरकार ने जनता को बेरोजगार कर दिया है और अब दूसरी तरफ भूखा भी रखने का इंतजाम कर रही है।
बंगाल चुनाव की भीड़ इन्हे जानलेवा नहीं लगती बल्कि ये लुफ्त उठाते हैं इस भीड़ की।
इस हालात में सरकार को कोरोना से बचाव की रणनीति बनानी थी लेकिन यह सरकार चुनाव की रणनीति बनाने में व्यस्त है। कोरोना से बचाव की कोई भी प्री प्लानिंग नहीं है सरकार की।
हम इक्कीसवीं सदी से और भी पीछे चले जा रहे हैं, वाकई हमारा देश बदल रहा है।
#चुनावरैली
#किसानपुत्री_शोभा_यादव