चुनना केवल तुमको है””
चुनना केवल तुमको है””
है टूट रहे नित- नियम अनेकों,
उनका तुम यलगार करो..
क्षण- क्षण को बटोरो जीवन में,
या खुल कर तुम बर्बाद करो..
यह तिक्त- मधुर गाथा जीवन की !!
सुनना केवल तुमको है…
पग- पग पे सहारे लाख मिलेंगे!!
चुनना केवल तुमको है…
कर दो बहार को तुम सूना,
चाहे मंजिल “मझदार” करो..
हसते जाओ जीवन में या,
रो-रो कर उद्गार करो..
सुख दुख से भरी है यह झालर, !!
पर बुनना केवल तुमको है..
नियति खुद भाग्य बदल जाएगी!!
चुनना केवल तुमको है..
तर्पण अर्पण कि जय बेला है,
तुम भी कुछ बलिहार करो..
वंदन -अभिनन्दन -चंदन से.
मन को गंगा की धार करो..
पावक की प्रखर परीक्षा है!!
पर भुनना केवल तुमको है
कांटो में राह निकल आएगी!!
चुनना केवल तुमको है..
बर्बर अंधियारों को चीरो,
या सूरज पर चीत्कार करो..
तुम झूठ की बाती सुलगाओ,
या सच से भी इंकार करो..
ठोकर पर सीख हजार लिखी है!!
गुनना केवल तुमको है..
स्वप्नों की शक्ल निकल आएगी!!
चुनना केवल तुमको है..
इन असमंजस के विषयों से,
दामन अपना आबाद करो..
या अंतर्मन पे तुम अपने,
संदेहों की बौछार करो..
अश्रु से भरा यह जीवन,
इसमें घुलना केवल तुमको है!!
मृतकों में में जान उतर आएगी..
चुनना केवल तुमको है!!
चुनना केवल तुमको है!!
©Priya maithil