चुटकी
चुटकी
जिंदा रहने की ख्वाहिश में रोज़ रोज़ मरना क्या है,
ऊखल में सिर दे दिया तो मूसल से डरना क्या है।
गाजर,मूली, केला, आडू कुछ भी कह लो मुझको
ऐसे ही खा लो सीधे से , चाकू का करना क्या है।
– मोहित
चुटकी
जिंदा रहने की ख्वाहिश में रोज़ रोज़ मरना क्या है,
ऊखल में सिर दे दिया तो मूसल से डरना क्या है।
गाजर,मूली, केला, आडू कुछ भी कह लो मुझको
ऐसे ही खा लो सीधे से , चाकू का करना क्या है।
– मोहित