चील …..
चील ……..
कभी आसमान में
उड़ती चीलों के जमघट से
जमीन पर
किसी जानवर के मरने का
एहसास होता था
सड़ने गलने से पहले ही चीलें
उनके गोश्त को समाप्त कर
उस जगह को साफ़ कर देती थी
शायद
ईश्वर ने उनका वजूद
इसीलिए बनाया था
जानवर तो अब भी मरते हैं
पर
जाने क्यों
अब आसमान में
चीलें नजर नहीं आती
शायद
अब मरने मरने में
फर्क होने लगा है
अब मरे हुए जानवर से ज्यादा
इंसान में जिन्दा जानवर
सडांध मारने लगा है
चील की तेज दृष्टि
अब भ्रमित होने लगी है
मरे हुए जानवर से उसे
घिन्न नहीं आती थी
पर खुद को मार कर
अंदर के जानवर को
जिन्दा करने वाले
इंसान से उसे घिन्न आती है
शायद इसी लिये
इतनी सडांध के बावजूद
चील
जमीन पर नहीं आती
सुशील सरना / 21-1-24