चिराग ए रूह
चल रही है कयामत की आंधियां ,
ना जाने कब ,कौन कहां फना होगा ।
मगर फिर भी खुशकिस्मती से जलेगी वही,
जिसकी चिराग ए रूह में दम होगा ।
चल रही है कयामत की आंधियां ,
ना जाने कब ,कौन कहां फना होगा ।
मगर फिर भी खुशकिस्मती से जलेगी वही,
जिसकी चिराग ए रूह में दम होगा ।