चित्रकार
06/05/2020
अपनी धुन में रमा हुआ है ।
चित्र में वो वसा हुआ है ।
जानें क्या-कया बना रहा है।
नई लकीरें खींच रहा है।।
लगता है गंभीर बहुत है ।
चारों और जंजीर बहुत है ।।
कागज पर वो उतर रहा है।
रंगो संग वो झगड़ रहा है ।।
कुछ तो उसने सोचा होगा।
कोई तो उस पर मौका होगा।।
आखिर यह क्या बना रहा है ।
रंगों से क्या चढ़ा रहा है ।।
खुद से रूठा हुआ है या फिर ।
ईश्वर को वो मना रहा है ।।
बे रंगी दुनिया को शायद।
रंग में रंगना चाहता है ।।
या फिर अपनी प्रियतमा की ।
कोई यादें उतार रहा है ।।
या फिर वह अपने ईश्वर की ।
कोई छाया बना रहा है ।।
चित्रकार है चित्रकार है ।
जानें किसका चित्र बनादे।।
भरकर रंगों को चित्र में ।
सारी दुनिया को दर्शादे।।
उसके मन की वो ही जानें।
सागर किसका चित्र बना दे।।
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मूल व अप्रकाशित गीत के गीतकार …
डॉ नरेश कुमार “सागर”
जिला- हापुड़, उत्तर प्रदेश