चिड़िया.
मैं हूँ चिड़िया अकेली
पिंछरे में बंद हुई थी.
न कमी है भोजन की
न कमी है पानी की
न सताता है धूप
न सताता है बरसात.
न डर है हवा की
न डर है दुश्मन की.
न किसी की कमी है
फीरभी उदास
हूँ मैं हमेशा.
नीला आसमान
बुलाता है मुछे.
उड़ना है मुछे पँख
फैलाकर
नीले गगन में.
शायद मुछे नहीं
मिलेगा भोजन
न मिलेगा पानी.
न मिलेगा साथी
होगा पीछे दुश्मन
फिरभी चाहती हूँ मैं
उस नील गगन में उड़ना.
सूरज की ओर पंख
फैलाकल जाना.
हवा के साथ उड़ना
कौन नहीं चाहती है
आज़ादी इस दुनिया में.