Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Jun 2024 · 1 min read

चिंतन

चिंतन ( वर्ण पिरामिड)

जो
जैसा
चिंतन
करता है
बन जाता है
वह वैसा सुन
अमर हुआ वह
जिसके मन में
पावन गंगा
अविरल
बहती
नित
हैं।

साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।

1 Like · 39 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

*भालू (बाल कविता)*
*भालू (बाल कविता)*
Ravi Prakash
कहमुकरी : एक परिचयात्मक विवेचन
कहमुकरी : एक परिचयात्मक विवेचन
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
नित नित पेड़ लगाता चल
नित नित पेड़ लगाता चल
Prithvi Singh Beniwal Bishnoi
प्यार है ही नही ज़माने में
प्यार है ही नही ज़माने में
SHAMA PARVEEN
*
*"माँ महागौरी"*
Shashi kala vyas
दीपावली
दीपावली
Dr Archana Gupta
आज एक अरसे बाद मेने किया हौसला है,
आज एक अरसे बाद मेने किया हौसला है,
Raazzz Kumar (Reyansh)
■ 100% यक़ीन मानिए।
■ 100% यक़ीन मानिए।
*प्रणय*
रोज रात जिन्दगी
रोज रात जिन्दगी
Ragini Kumari
मै भी सुना सकता हूँ
मै भी सुना सकता हूँ
Anil chobisa
नवंबर का ये हंसता हुआ हसीन मौसम........
नवंबर का ये हंसता हुआ हसीन मौसम........
shabina. Naaz
ई भारत देश महान हवे
ई भारत देश महान हवे
आकाश महेशपुरी
* प्रेम पथ पर *
* प्रेम पथ पर *
surenderpal vaidya
त्रिभंगी छंद, वीरों को समर्पित
त्रिभंगी छंद, वीरों को समर्पित
Annapurna gupta
#स्याह-सफेद#
#स्याह-सफेद#
Madhavi Srivastava
मौन प्रेम प्रस्तावना,
मौन प्रेम प्रस्तावना,
sushil sarna
इल्म कुछ ऐसा दे
इल्म कुछ ऐसा दे
Ghanshyam Poddar
"सुन लेवा संगवारी"
Dr. Kishan tandon kranti
इन चरागों का कोई मक़सद भी है
इन चरागों का कोई मक़सद भी है
Shweta Soni
मुद्रा नियमित शिक्षण
मुद्रा नियमित शिक्षण
AJAY AMITABH SUMAN
मानुष अपने कर्म से महान होता है न की कुल से
मानुष अपने कर्म से महान होता है न की कुल से
Pranav raj
कामयाबी के पीछे छिपी पूरी ज़वानी है,
कामयाबी के पीछे छिपी पूरी ज़वानी है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
बहुत कुछ अरमान थे दिल में हमारे ।
बहुत कुछ अरमान थे दिल में हमारे ।
Rajesh vyas
समय आता है
समय आता है
Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी)
23/213. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/213. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
देहरीहीन दौर
देहरीहीन दौर
पूर्वार्थ
तुम क्या आए
तुम क्या आए
Jyoti Roshni
जिस नई सुबह ने
जिस नई सुबह ने
PRADYUMNA AROTHIYA
नजरें खुद की, जो अक्स से अपने टकराती हैं।
नजरें खुद की, जो अक्स से अपने टकराती हैं।
Manisha Manjari
विश्रान्ति.
विश्रान्ति.
Heera S
Loading...