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3 May 2024 · 1 min read

चिंगारी के गर्भ में,

चिंगारी के गर्भ में,
निहित आग का ताप ।
आ जाए जो क्रोध में,
बन जाती ये श्राप ।।

सुशील सरना / 3-5-24

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