चाह
मायूस सुबह ख़ामोश रात थी ।
अश्क़ से भरी हर आह थी ।
थे दामन में सितारे तो बहुत,
चाँद की मगर मुझे चाह थी ।
…. विवेक दुबे”निश्चल”@…
मायूस सुबह ख़ामोश रात थी ।
अश्क़ से भरी हर आह थी ।
थे दामन में सितारे तो बहुत,
चाँद की मगर मुझे चाह थी ।
…. विवेक दुबे”निश्चल”@…