**********चाहो तो हमें माफ कर दो***********
**********चाहो तो हमें माफ कर दो***********
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छोटी सी है खता हमारी चाहो तो हमें माफ कर दो,
तुम से ही है सुबह सुहानी चाहो तो हमें माफ कर दो।
खिदमत मे हम लगे तुम्हारी यूँ रूठकर तुम न जाओ,
दिल तोड़ना न रजा हमारी चाहो तो हमें माफ कर दो।
गलती जान बुझ कोई करता नही हो जाया है करती,
चाहत भी है अभी कुंवारी चाहो तो हमे माफ कर दो।
चाहा भी नहीं कभी कोई दिल टूटे किसी का यूँ ही,
नादानगी मे हुई खुमारी चाहो तो हमें माफ कर दो।
बीता पल कभी नहीं आये दो दिन की है जिंदगानी,
ज्यादा हो गई राय शुमारी चाहो ती हमें माफ कर दो।
दोनों हाथ जोड़े खड़े दर तुम्हारे कर दो तुम इंसाफ़ी,
रह जाएगी धरी होशियारी चाहो तो हमे माफ कर दो।
खोना चाहते नही हरगिज मन से हम तुम्हे मनसीरत,
उल्फत में है निशा गुजारी चाहो तो हमें माफ कर दो।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैंथल)