चाहे हमें तुम कुछ भी समझो
चाहे हमें तुम कुछ भी समझो, मगर दिल हमारा पापी नहीं।
चाहे हमें तुम बदनाम करो, मगर प्यार हमारा झूठा नहीं।।
चाहे हमें तुम कुछ भी—————————–।।
जैसा कि तुमने कहा जो हमसे, रजा वह तुम्हारी पूरी की हमने।
सोचो जरा तुम हमको बताओ, खुशी कब तुमको नहीं दी हमने।।
हालांकि तुम हमसे बहुत लड़े, हिकारत मगर तुमसे रही नहीं।
चाहे हमें तुम कुछ भी—————————-।।
अगर तुमसे होती नफरत हमको, करीब ऐसे हम होते नहीं।
इतने दिनों बाद याद न करते, पसंद गर हमको तुम होते नहीं।।
करते थे चाहे औरों की तारीफ, मगर दिल उन्हें चाहता नहीं।
चाहे हमें तुम कुछ भी—————————।।
हमने तो तेरे ही सपनें सँजोये थे, हमने तो मंजिल माना था तुमको।
फूल तुम्हें हमने दिल का समझकर, मोहब्बत से सींचा था तुमको।।
हालांकि तुमसे हसीं बहुत यहाँ है, मगर खुशी उनको कहते नहीं।
चाहे हमें तुम कुछ भी—————————–।।
अगर प्यार तुमसे सच्चा न होता, लिखते नहीं ऐसे खत हम तुमको।
सितारों से तुमको यूँ न सजाते, मिलते नहीं कभी ऐसे हम तुमको।।
चाहे कितना भी शक हमपे करो, मगर बेवफा हम तुमसे नहीं।
चाहे हमें तुम कुछ——————————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)