Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Jun 2024 · 1 min read

चाहे लाख महरूमियां हो मुझमे,

चाहे लाख महरूमियां हो मुझमे,
पर हर मोड़ पे साथ ज़रूर निभाऊंगा

©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”

1 Like · 102 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
चिंतन...
चिंतन...
ओंकार मिश्र
माँ मुझे जवान कर तू बूढ़ी हो गयी....
माँ मुझे जवान कर तू बूढ़ी हो गयी....
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
जला रहा हूँ ख़ुद को
जला रहा हूँ ख़ुद को
Akash Yadav
मेरे जज़्बात कुछ अलग हैं,
मेरे जज़्बात कुछ अलग हैं,
Sunil Maheshwari
गांव गलियां मुस्कुराएं,
गांव गलियां मुस्कुराएं,
TAMANNA BILASPURI
न जागने की जिद भी अच्छी है हुजूर, मोल आखिर कौन लेगा राह की द
न जागने की जिद भी अच्छी है हुजूर, मोल आखिर कौन लेगा राह की द
Sanjay ' शून्य'
कहानी
कहानी
Rajender Kumar Miraaj
🌻 गुरु चरणों की धूल🌻
🌻 गुरु चरणों की धूल🌻
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
मेरी बेटी बड़ी हो गई,
मेरी बेटी बड़ी हो गई,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मैंने हर मंज़र देखा है
मैंने हर मंज़र देखा है
Harminder Kaur
बिरसा मुंडा
बिरसा मुंडा
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
वसंत पंचमी की शुभकामनाएं ।
वसंत पंचमी की शुभकामनाएं ।
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
मुहब्बत करने वालों
मुहब्बत करने वालों
shabina. Naaz
प्यार विश्वाश है इसमें कोई वादा नहीं होता!
प्यार विश्वाश है इसमें कोई वादा नहीं होता!
Diwakar Mahto
Humanism : A Philosophy Celebrating Human Dignity
Humanism : A Philosophy Celebrating Human Dignity
Harekrishna Sahu
तुम पास आए
तुम पास आए
Surinder blackpen
वसन्त का स्वागत है vasant kaa swagat hai
वसन्त का स्वागत है vasant kaa swagat hai
Mohan Pandey
आज़माइश कोई
आज़माइश कोई
Dr fauzia Naseem shad
यादें मोहब्बत की
यादें मोहब्बत की
Mukesh Kumar Sonkar
go666
go666
go 666
अध्यात्म चिंतन
अध्यात्म चिंतन
डॉ० रोहित कौशिक
जब तक दुख मिलता रहे,तब तक जिंदा आप।
जब तक दुख मिलता रहे,तब तक जिंदा आप।
Manoj Mahato
हे छंद महालय के स्वामी, हम पर कृपा करो।
हे छंद महालय के स्वामी, हम पर कृपा करो।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
"हकीकत"
Dr. Kishan tandon kranti
3184.*पूर्णिका*
3184.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तुम तो साजन रात के,
तुम तो साजन रात के,
sushil sarna
पुछ रहा भीतर का अंतर्द्वंद
पुछ रहा भीतर का अंतर्द्वंद
©️ दामिनी नारायण सिंह
मेरी ख़ूबी बस इत्ती सी है कि मैं
मेरी ख़ूबी बस इत्ती सी है कि मैं "ड्रिंकर" न होते हुए भी "थिं
*प्रणय*
नींव की ईंट
नींव की ईंट
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
*सकल विश्व में अपनी भाषा, हिंदी की जयकार हो (गीत)*
*सकल विश्व में अपनी भाषा, हिंदी की जयकार हो (गीत)*
Ravi Prakash
Loading...