चाहत
छोटी सी मेरी दुनिया है, छोटी ही मेरी चाहत है
इस जहां में एक तू ही मेरी राहत है
तू ही मेरी हिम्मत है और तू ही मेरी ताकत है
तू ही मेरी प्रार्थना और तू ही मेरी आयत है
चाहत….चाहत तो तुझे अपना बनाने की है
तेरी आँखों में मेरी छवि हो
तेरी धड़कन में आहट मेरी हो
तेरी मन में याद मेरी हो
तेरी सोच, हर बात मेरी हो
चाहत तो दिल से दिल मिलाने की है
चाहत….चाहत तेरे दिल में बस जाने की है
तेरे लफ्ज़ो में मेरा ही ज़िक्र हो
तेरी दुआ में मेरी ही फ़िक्र हो
तेरी खुशबू ही मेरा फिर इत्र हो
तेरा और मेरा इश्क़ बेफिक्र हो
चाहत मेरा प्यार अमर कर जाने की है
चाहत…चाहत तो तुझपे हक़ जताने की है
मेरे काँधे पे तेरा सर हो
दुनियादारी की फ़िक्र न फिर हो
तेरी आँखें दिल की मुखबिर हो
मेरे हर मर्ज़ का तू ही मिसिर हो
चाहत तो तेरा हक़ बन जाने की है
चाहत है की बन जाऊ तेरा
तू मेरी रात हो और तू ही सवेरा
मेरे भटके मन का तू है बसेरा
मेरी हर बात पे अब ज़िक्र है बस तेरा
ये जहां ये लोग जंजाल है घनेरा
अपना बनाले क्यूंकि मैं हूँ अब तेरा
मैं बन जाऊ तेरा, बस इतनी सी ही चाहत है
बस इतनी सी ही चाहत है…