चाहत
चाहत
प्यार मुहब्बत इश्क चाहत
ऐसे जैसे खुदा की इबादत
अमर प्रेम की कहानियां
ये सब सुनने में अच्छा लगता है
सपनों के सुंदर संसार मे विचरण लगता है
पर आज ये होती नहीं हकीकत
बनते तो है इनके मकान लेकिन बिना छत
मुहब्बत यूँ ही बह जाती है
रूह पर प्यासी रह जाती है
आंखों में बस जाते दर्द के कतरे
ज़िन्दगी चुपचाप सह जाती है
लेती नही मुहब्बत दिल से इजाजत
पर दिल को कर जाती है हताहत
ऐ दुनिया वालो कभी मुहब्बत नहीं करना
बिना मौत के पल पल नहीं मरना
धोखे तो इस राह में बहुत हैं
करो तो कदम फूँक फूँक कर रखना
मत करना अपने ही दिल को आहत
सच बताएं बुरी बला होती है चाहत
डॉ अर्चना गुप्ता