चाहत
हम जानते हैं कि तुम मेरी नहीं हो सकती,
फिर भी मेरा दिल तुमको चाहता है!
इस दिल को मैं कैसे समझाऊं,
ये दिल तुम्हारी तस्वीर ले कर के बैठ जाता है!!
मुझे तो पता नहीं तुम किसके लिए बनी है,
पर ये मेरा दिल तुझे अपना बनाना चाहता है!!!
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कवि : जय लगन कुमार हैप्पी