*चाहत का जादू छाया है*
चाहत का जादू छाया है
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मत पूछों नीले नैनों से,
चाहत का जादू छाया है।
ना चाहूँ धन दौलत माया,
तुम जीवन का सरमाया है।
दिल से शुकराना ईश्वर का,
तुम को मुद्द्त से पाया है।
चंचल मन तेरा क्या कहने,
गौरी कंचन सी काया है।
मीठा मधु मय का प्याला है,
तन मन में मुखड़ा भाया है।
हर पल हर दम रहते मरते,
तेरे पीछे मेरा साया है।
मधुरिम मधु म्या का प्याला,
कोयल सा गाना गाया है।
मनसीरत का भाग्य तुम से,
प्रभु जी की लीला माया है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैंथल)